Connect with us

Dear Sahityakar Sammelan

देश के प्रतिष्ठित व्यंग्यकारों की कृतियां विश्व हिंदी सचिवालय में भेंट

Avatar photo

Published

on

World Hindi Secretariat

विश्व हिंदी सचिवालय (World Hindi Secretariat), मॉरीशस के अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहली बार आयोजित होने वाली व्यंग्य की कार्यशाला के विषय विशेषज्ञ की भूमिका निभाने वाले प्रेम जनमेजय ने उद्घाटन सत्र में व्यंग्य की अवधारणा पर अपनी बात कहते हुए कहा–आज विश्व हिंदी सचिवालय (World Hindi Secretariat) मॉरिशस के अंतरराष्ट्रीय मंच पर हिंदी व्यंग्य अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहा है। सचिवालय के मंच पर पहली बार विमर्श और व्यंग्य पाठ को अंतरराष्ट्रीय जमीन मिलना इतिहास रचने जैसा है। इस इतिहास को रचने का श्रेय विश्व हिंदी सचिवालय (World Hindi Secretariat) की महासचिव, उपसचिव माधुरी रामधारी ,शिक्षा मंत्रालय, महात्मा गांधी संस्थान एवं कला संस्कृति मंत्रालय को जाता है।

Madhuri Ramdhari

व्यंग्य मानव के सभ्य होने का उदघोष है। पहले यह लोकोक्तियों और मुहावरों के रूप में सभ्य मानव जीवन का हिस्सा बना और बाद में साहित्य की दुनिया का। जहां- जहां विसंगतियों की घटाटोप कालिमा होती है वहां व्यंग्य की बिजली चमकती है।
शिक्षा तृतीयक शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय में प्रबंधक शिक्षा निरंजन बिगन ने कहा कि जैसे रात को चूहा काट जाता है पर पता अगले दिन चलता है व्यंग्य का काटा भी ऐसा होता है। व्यंग्य समाज के कान की मैल निकालता है।सचिवालय की उपसचिव माधुरी रामधारी ने स्वागत भाषण में कहा कि आज के समय मे व्यंग्य की समझ बहुत आवश्यक है। व्यंग्य हिंदी साहित्य का महत्वपूर्ण अंग बन गया है। इसे समझना आवश्यक है। इस कार्यशाला का उद्देश्य यही है। प्रसन्नता है कि व्यंग्य विशेषज्ञ प्रेम जनमेजय हमारे आमंत्रण पर आए हैं। भारतीय उच्चायोग में द्वितीय सचिव सुनीता पाहुजा ने कहा कि भारत मे हिंदी व्यंग्य पर विमर्श के लिए प्रेम जनमेजय ने बहुत काम किया है। हिंदी व्यंग्य की सुदृढ परम्परा को उन्होंने आगे बढ़ाने का सार्थक काम किया है।

प्रेम जनमेजय

उद्घाटन सत्र में विशिष्ट वक्ताओं के वक्तव्यों के मध्य , मंच पर प्रेम जनमेजय की व्यंग्य रचना, “हिंदी माथे की बिंदी” नाटक “सोते रहो” और कविता “गंध कहाँ है” के कुछ अंशो की, महात्मा गांधी संस्थान के बीए हिंदी ऑनर्स प्रथम वर्ष, द्वितीय और तृतीय वर्ष के छात्रों ने नाट्य प्रस्तुति की।
उद्घाटन सत्र के उपरांत तीन सत्रों में प्रेम जनमेजय ने बीए और एमए के छात्रों को व्यंग्य के स्वरूप, व्यंग्य की परंपरा, व्यंग्य के मनोविज्ञान और व्यंग्य की भाषा पर चालीस चालीस मिनट के व्याख्यान दिए। छात्रों ने न केवल इन्हें सुना अपितु प्रश्न भी किए, एक दो नहीं हर सत्र में 5-6 प्रश्न किए गए। यह प्रश्न पूछने की औपचारिकता मात्र नहीं जिज्ञासाएं थी जो प्रतिप्रश्न के रूप में सामने आईं।
विश्व हिंदी सचिवालय (World Hindi Secretariat) के पुस्तकालय ने प्रेम जनमेजय का समस्त साहित्य खरीदा। प्रेम जनमेजय ने सचिवालय के पुस्तकालय को समृद्ध करने के लिए राजस्थान सहित देश के विभिन्न ख्यातनाम रचनाकारों की व्यंग्य कृतियाँ भेंट की।
23 जून को सभागार में श्एक शाम, हिंदी व्यंग्य के नामश् आयोजन में मॉरिशस के वरिष्ठ रचनाकार श्री उदय नारायण गंगू, श्री रामदेव धुरंधर, डॉ वीरसेन जागासिंह, डॉ हेमराज सुंदर, श्रीमती कल्पना लालजी, एवं नवोदित रचनाकार श्री सोमदत्त काशीनाथ और प्रेरणा ने व्यंग्य पाठ किया। प्रेम जनमेजय ने अपनी व्यंग्य रचना “कबीरा क्यों खड़ा बाजार” का पाठ किया। हर व्यंग्य रचना के मध्य भारतेंदु, परसाई, नरेंद्र कोहली, हरीश नवल, प्रेम जनमेजय और गिरीश पंकज की रचनाओं के नाट्य अंश भी प्रस्तुत किए गए। हिंदी व्यंग्य को समृद्ध करने के लिए व्यंग्य यात्रा ने स्थानीय व्यंग्यकारों को अंगवस्त्र और अपने सद्य प्रकाशित अंक “कबीरी धार की कविता और…” द्वारा सम्मानित किया।

(World Hindi Secretariat)

Exit mobile version