Udaipur, Sep.10,2025:मनीष सोनी का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ, जहाँ संगीत और भक्ति का संगम जीवन का हिस्सा था। उनके पिता श्री रमेश जी सोनी स्वयं एक उत्कृष्ट गायक कलाकार हैं। रमेश जी की पहचान भजन और लोकसंगीत की दुनिया में एक आदर्श गायक के रूप में रही है-
भक्ति संगीत की अनवरत धारा
भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का सबसे सशक्त माध्यम हमेशा से भक्ति संगीत रहा है। मंदिरों, सत्संगों और सांस्कृतिक आयोजनों में भजन गाकर साधकों ने न केवल ईश्वर से जुड़ने का मार्ग दिखाया है, बल्कि समाज में प्रेम और भाईचारे का संदेश भी फैलाया है। इसी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं भजन गायक मनीष सोनी, जिन्होंने अपनी युवा अवस्था में ही इतनी ख्याति अर्जित कर ली है कि आज दूर-दूर से उनके कार्यक्रमों के लिए आमंत्रण आने लगे हैं।
Advertisement
पारिवारिक पृष्ठभूमि – पिता ही पहले शिक्षक और प्रेरणा
मनीष सोनी का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ, जहाँ संगीत और भक्ति का संगम जीवन का हिस्सा था। उनके पिता श्री रमेश जी सोनी स्वयं एक उत्कृष्ट गायक कलाकार हैं। रमेश जी की पहचान भजन और लोकसंगीत की दुनिया में एक आदर्श गायक के रूप में रही है। उनकी मधुर आवाज़ और भावपूर्ण प्रस्तुतियों ने वर्षों तक श्रोताओं को भक्ति रस से सराबोर किया है।
इसी वातावरण ने मनीष को बचपन से ही भक्ति और संगीत के संस्कार दिए। अपने पिता को गाते हुए सुनना, उनके साथ धार्मिक आयोजनों में शामिल होना और उनकी साधना को देखना ही मनीष के लिए जीवन की सबसे बड़ी प्रेरणा बना।
मनीष अक्सर कहते हैं –
“मेरे पिताजी ही मेरे पहले गुरु और सबसे बड़े प्रेरणास्रोत हैं। उनकी गायकी ने ही मुझे इस राह पर चलने का साहस दिया।”
शिक्षा और संगीत का आरंभिक सफर
Advertisement
स्कूली जीवन से ही मनीष सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेने लगे। उनकी आवाज़ की मिठास और प्रस्तुति की शैली ने उन्हें जल्दी ही लोकप्रिय बना दिया। अध्यापकों और मित्रों ने उनका मनोबल बढ़ाया और पिता के मार्गदर्शन ने उनके स्वरों को और अधिक परिष्कृत किया। धीरे-धीरे यह शौक जीवन का उद्देश्य बन गया और मनीष ने भजन गायकी को ही अपनी साधना और पहचान बना लिया।
मंचीय कार्यक्रम और मेवाड़ में लोकप्रियता
आज की उम्र में ही मनीष सोनी की ख्याति इस स्तर तक पहुँच गई है कि दूर-दूर से उनके कार्यक्रमों की बुकिंग आती है।
विशेषकर मेवाड़ क्षेत्र में धार्मिक आयोजनों और सांस्कृतिक मंचों के लिए उन्हें बड़े उत्साह के साथ आमंत्रित किया जाता है।
उनके मंचीय कार्यक्रमों की विशेषता यह है कि श्रोता केवल गाने नहीं सुनते, बल्कि भक्ति की उस धारा को महसूस करते हैं, जो उनके दिल और आत्मा को गहराई से छू जाती है।
Advertisement
मंच पर उनकी उपस्थिति, गायकी का समर्पण और भावनाओं से भरे भजन माहौल को पूर्णतः भक्ति रस में डुबो देते हैं। यही कारण है कि उनके कार्यक्रम सिर्फ संगीत नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव बन जाते हैं।
पिता-पुत्र की विरासत और योगदान
भक्ति संगीत की इस यात्रा में रमेश जी सोनी और मनीष सोनी की जोड़ी विशेष महत्व रखती है।
जहाँ पिता ने अपनी कला और अनुभव से भक्ति संगीत को संजोकर रखा, वहीं पुत्र ने अपनी मेहनत और लगन से उस परंपरा को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का कार्य किया।
Advertisement
पिता ने जो बीज रोपा, पुत्र ने उसे साधना और समर्पण से विशाल वृक्ष में बदलने की दिशा में कदम बढ़ाया।
भजन गायक मनीष सोनी का जीवन इस बात का सजीव उदाहरण है कि जब परिवार में कला और भक्ति की परंपरा हो, तो वह अगली पीढ़ी को प्रेरणा और दिशा देती है।
आज मनीष न केवल अपने परिवार की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं, बल्कि भक्ति संगीत की दुनिया में नई पहचान भी बना रहे हैं।
Advertisement
विशेषकर मेवाड़ क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता ने यह साबित कर दिया है कि उनकी आवाज़ केवल गीत नहीं, बल्कि एक साधना है जो सीधे दिलों तक पहुँचती है।
भविष्य में भी उनकी मधुर आवाज़ और भक्ति-भाव से भरे गीत समाज को अध्यात्म और शांति की ओर ले जाते रहेंगे।
मनीष सोनी का पुश्तैनी काम सोने-चाँदी की ज्वेलरी बनाने का है और कई बड़े मंदिरों में उनके द्वारा आभूषण बनाए गए हैं, जिनमें स्वर्ण मुकुट आदि शामिल हैं। इसी कारण उनकी अच्छी-खासी ख्याति है।
Advertisement
Credent TV से हमारे संवाददाता किशोर लाल की विशेष रिपोर्ट-