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क्ले म्यूरल में सीमेन्ट और पीओपी का प्रचलन आज के युग की देन-उमा कांत मीणा

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क्ले म्यूरल

  • कलानेरी आर्ट गैलरी में चल रहे समर कैंप के दौरान हुआ लाइव डेमोस्ट्रेशन
  • म्यूरल कला के जाने-माने कलाकार उमा कान्त मीणा हुए रूबरू

म्यूरल विधा के जाने-माने कलाकार उमा कान्त मीणा बुधवार को Kalaneri Art Gallery में चल रहे समर कैंप के प्रशिक्षणार्थियों से रूबरू हुए। उन्होंने इस मौके पर थ्री डी तकनीकी से क्ले मॉडल बनाने की विधि समझाई और नमूने के तौर पर डेढ़ फुट गुणा दो फुट का म्यूरल तैयार करके दिखाया। इस म्यूरल में उन्होंने आसमान में चमकते सूरज और धरती पर लहलाते फूल तथा पेड़ पौधे दिखाए हैं। कलाकार ने इन आकृतियों को थ्री डी तकनीकी से उभार देकर और भी खूबसूरत बना दिया। उमा कान्त आने वाले दिनांे में इस म्यूरल की कास्टिंग करके इसको स्थाई रूप भी देंगे।

क्ले म्यूरल में सीमेन्ट और पीओपी का प्रचलन आज के युग की देन

Kalaneri Art Gallery के निदेशक सौम्या विजय शर्मा ने बताया कि इस मौके पर उमा कान्त ने अपने उद्बोधन में कहा कि क्ले म्यूरल में सीमेन्ट और पीओपी का प्रचार आज के युग की देन है। सैकड़ों साल पुरानी इस विधा में कलाकार पत्थर और क्ले के माध्यम से ही कलाकृतियां उकेरा करते थे। देश के प्राचीन मन्दिरों, किलों और महलों में इसी रीति से म्यूरल बनाए गए थे जिन्हें आज भी देखा जा सकता है। उन्होंने इस मौके पर प्रशिक्षणार्थियों को वुड के सरफेस पर गीली मिट्टी से कार्विंग करने और कलाकृतियों के लिए टैक्सचर तैयार करने की रीति भी समझाई।

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