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Editorial

जिक्र जरूरी नहीं होता फिक्र दिल में हो अगर अहसास महसूस न हो तो जिक्र कर लो मगर ……

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रजनी ब्रिजेश

जिंदगी के सफर में रफ्तार इतनी तेज हो गई है की ना जाने कब कहां किस मोड़ पर क्या और क्यों छूट गया ये मंजिल के ठहराव पर महसूस होता है ।
वजह आप हो
या कोई और


जिंदगी में किसी अपने को खो देने की कमी सुकून के पल छीन लेती है …..


सहूलियत ,सफलता और सुविधाएं…
कभी सुकून की वजह नहीं बनती क्योंकि ये मन की खुशी नहीं दे सकती …..
जिंदगी भर अपनो की फिक्र दिल से करते हैं लोग और दूसरी तरफ ये अफसोस भी साथ रहता है अक्सर की मेरी फिक्र को वो समझते नहीं …..
ये सही है की दिल से किसी की फिक्र करो तो उसकी खुशी के लिए सब कुछ किया जाता है बिना जिक्र किए मगर
जिंदगी जब इस तरह रफ्तार में न थी ….
मन में हर जगह आगे बढ़ने का शोर ना था….
तो मन के भाव समझ में आते ही ठहर जाते थे लोग अब इस आगे बढ़ने की होड़ के शोर में अहसासों को नजर अंदाज कर जाते हैं ….
मन में आता सब कुछ है लेकिन उसको सुनने की फुरसत नहीं निकाल रहे हैं हम …
जिस दिन फुरसत होगी यकीनन अफसोस होगा और फिर वही काश ….
आपका सुकून छीन लेगा ।
दर्द जिस वक्त हो दवा की अहमियत उसी समय होती है यदि दर्द बर्दाश्त करने की आदत हो जाए तो दर्द की अहमियत खत्म हो जाती है …..
आप की फिक्र बहुत लोगों के लिए उनके है दर्द की दवा है ,ये आप जानते भी हैं और मानते भी हैं मगर जिक्र नहीं करते अपनी फिक्र की इंतजार करते हैं की सब खुद समझ जाए और कई बार सिर्फ आपके जिक्र का इंतजार करते हैं और कोई भी खूबसूरत रिश्ता दोनो तरफ अहसास होने पर भी दोनों को तकलीफ देता रहे सिर्फ अहसास को अल्फाज में बयां ना करने के कारण और खो जाएं ये अहसास इस भीड़ में कहीं क्या ये सही है ..?
महसूस तो हर पल करते हैं आप किसकी कितनी फिक्र है आपको तो कभी कभी कह देने में क्या बुराई है ….
आखिर उसी की खुशी है इसमें जिसकी फिक्र है आपको ….



” ये सही है की अहसास किसी अल्फाज का मोहताज नहीं .. महसूस होना चाहिए मगर सिर्फ अल्फाजों की वजह से खामोश दीवारे दिलों में दूरियां न बढ़ा दे इसके लिए अल्फाज जरूरी हो जाते हैं , “

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परवाह है तो परवाह दिखा दीजिए ,
जरूरत है तो आगे बढ़ कर जता दीजिए
किसी की अहमियत आपकी जिंदगी में कितनी है गर न समझे तो उसे समझा दीजिए
एक बार तो करके देखिए …
जिंदगी में कितने रिश्ते हैं उनसे ज्यादा जरूरी है
जो रिश्ते हैं उनमें जिंदगी नजर आए ….
सब कुछ आपके हाथ में नहीं होता
मगर जो आपके हाथ में है उसे मत छुटने दीजिए ….
रुककर थाम लीजिए ,
हाथो में हाथ हो न हो साथ महसूस होना चाहिए
जहन में जो चला आता है कभी कभी ….
बेवजह नहीं होता ….
कोई न कोई अहसास होता है जो आपके लिए सोचता है कहीं दूर उसके अहसास दस्तक देते हैं मन में ….
महसूस कीजिए इस दस्तक को सुनिए और मन के दरवाजों को खोलिए वक्त पर…
हर रिश्ता रस्मों रिवाजों की रवायत का मोहताज नहीं है मगर आपकी परवाह उसको सांस देती है ……
हर कोई वजह से नहीं जुड़ता आपसे बेवजह भी परवाह करते हैं लोग आपकी …
मन की आंखों को खोलिए जिंदगी की राह आसान होगी ….
प्रेम प्यार और परवाह को संकुचित मन के पिंजरे में मत बांधिए अच्छे एहसासों की बयार मन को शीतलता देगी और सही मायने में सुकून की वजह भी बनेगी……
सोचिए कुछ पल जिंदगी की रफ्तार से रुककर कुछ खो तो नहीं रहे आप …..?

संपादकीय :- रजनी ब्रिजेश