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केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालयत्रिवेणी नगर, जयपुर

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अखिल भारतीय रूपक महोत्सव 2024 का शुभारंभ

भारतीय संस्कृति और संस्कार को अद्भुत अनुभव करवाती संस्कृत – बीजू जार्ज जोसफ
दृश्य और श्रव्य माध्यम से मिलता है सामाजिको को सन्देश

06 मार्च 2024, जयपुर।
केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर परिसर, त्रिवेणी नगर, गोपालपुरा बायपास, जयपुर में 20वें अखिल भारतीय रूपक महोत्सव 2024 का शुभारंभ हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि पुलिस कमिश्नर, जयपुर श्री बीजू जार्ज जोसफ रहे। सारस्वत अतिथि प्रो. सुरेन्द्र कुमार शर्मा, पूर्व निदेशक, संस्कृत शिक्षा, विशिष्ट अतिथि प्रो. भगवती सुदेश पूर्व निदेशक, जयपुर परिसर, अध्यक्षता प्रो. राम कुमार शर्मा ने की। अतिथियों ने सर्वप्रथम दीप प्रज्ज्वलन, माँ सरस्वती की पूजा अर्चना कर कार्यक्रम की विधिवत् शुरूआत की। मुख्य अतिथि पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ ने सम्बोधित करते हुये कहा कि बचपन से ही संस्कृत भाषा को रेडियो वार्ता पर सुनकर आश्चर्य होता था और यहाँ आकर सभी को आपस में संस्कृत में वार्तालाप करते सुना। भारतीय संस्कृति और संस्कार का अद्भुत अनुभव संस्कृत भाषा करवाती है। रूपक महोत्सव जयपुर में आयोजित हो रहा है। राजस्थान की धरती अपनी ऐतिहासिक धरोहर के लिये विश्वविख्यात है। आप सभी जयपुर की संस्कृति और सभ्यता से जरूर रूबरू होकर जाये। संस्कृत की गरिमा और अनुशासन की प्रशंसा करते हुये कहा कि संस्कृत भाषा का अन्य भाषाओं के साथ जुड़ाव है। मैं केरल प्रदेश से हूँ हमारी मलयालम भाषा संस्कृत से मिलती है। आज हम सभी को संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य करना चाहिए।

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कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि प्रो सुरेन्द्र कुमार शर्मा ने सम्बोधित करते हुये कहा हर व्यक्ति जीवन में यह चाहता है कि जो भी हमारे आस पास घटित हो वो कल्याणकारी भी हो और आनन्द देने वाला भी हो। काव्य ही दृश्य और श्रव्य के माध्यम से सामाजिको को सन्देश देता है कि राम आदि सत्पात्रों के समान आचरण करना चाहिये। रावण आदि के समान नहीं। उत्तम व्यवहार के उत्तम परिणाम और अधम व्यवहार के अधम उदाहरण प्रस्तुत करके नाटक समाज को नीति का पाठ पढ़ाता है। विरूपाक्ष, पुरुरवा, इन्द्र, लक्ष्मी, ऊर्वशी, मेनका आदि के रोचक उदाहरणों से सभा को आनन्दित किया।

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कार्यकम की विशिष्ट अतिथि प्रो. भगवती सुदेश, पूर्व निदेशक, जयपुर परिसर ने अपने उद्‌बोधन में कहा की 2003 से इस नाट्य प्रतियेगिता का आयोजन केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के द्वारा किया जा रहा है। यह छात्रों की नाट्‌य कर्म दक्षता को निखारने का उत्तम माध्यम है। अध्यक्षता कर रहे प्रो. रामकुमार शर्मा ने अपने उद्बोधन में बताया कि आज से प्रारम्भ होने वाले इस महोत्सव में पूर्वरंग से लेकर विविध नाट्य प्रस्तुतियां, सांस्कृतिक संध्या, प्रदर्शनी आदि का आयोजन रहेगा।


रूपक महोत्सव 2024 के संयोजक प्रो. कुलदीप शर्मा ने बताया कि चार दिन चलने वाले इस रूपक महोत्सव में भारत के विविध राज्यों से आए विविध प्रतिभागी भारत की विविधता में एकता को प्रदर्शित कर रहे हैं। इस महोत्सव में संस्कृत के अतिरिक्त प्राकृत, तमिल, राजस्थानी, डोगरी, कन्नड़ तथा मलयालम आदि भाषाओं में भी प्रस्तुतियां दी जाएगी। राजस्थान की धरा का यह सौभाग्य है कि इस अखिल भारतीय रूपक महोत्सव के आयोजन के लिये मुख्यालय, नई दिल्ली द्वारा जयपुर परिसर को चुना गया। मीडिया समन्वयक डॉ रानी दाधीच ने बताया कि नाट्यशास्त्र अनुसन्धान केन्द्र, भोपाल परिसर द्वारा पूर्वरङ्ग प्रस्तुति से नूतन सभागार में नाटकों का शुभारंभ हुआ। नाटक के अभीष्ट देवता नटराज का आह्वान करके नाटक का विधिवत् शुभारंभ किया जाता है। इसके बाद कालीकट आदर्श संस्कृत विद्यापीठ बालूसरी, केरल परिसर के छात्र-छात्रों द्वारा भगवदज्जुकीयम् नाटक का मंचन किया गया। यह बोधायनाचार्य द्वारा लिखित संस्कृत साहित्य का प्रसिद्ध प्रहसन है। कालियाचक विक्रम किशोर आदर्श संस्कृत महाविद्यालय, मेदिनीपुर, पश्चिम बंगाल के छात्रों द्वारा लटकमेलकम् नाटक का मंचन किया गया। यह प्रहसन महाकवि शंखधर द्वारा रचित सबसे प्रसिद्ध हास्य रूपक है। बारहवीं शताब्दी का यह रूपक उस समय के समाज के प्रत्यक्ष स्वरूप पर प्रकाश डालता है। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, रणवीर परिसर जम्मू द्वारा महाकवि वत्सराज प्रणीत हास्यचूड़ामणि नामक रूपक की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम में 15 राज्यों के 600 छात्र छात्राएँ, प्रो. फतह सिंह, प्रो. कृष्णा शर्मा, प्रो. सतीश कुमार शर्मा, डॉ. धर्मपाल प्रजापत, प्रो. धर्मेन्द्र पाठक, डॉ. नमिता मित्तल, डॉ. लोकेश कुमार गुप्ता सहित सैकड़ों संस्कृत अनुरागी उपस्थित रहे।