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AJAY ANURAGI

अच्छे समय की फिसलन : अजय अनुरागी

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एक अच्छा समय फिसलन से भरपूर होता है । फिसलन की अच्छाई यह है कि , अच्छा व्यक्ति कुछ ही सेकंड में बुरे समय से निकल कर परिश्रम किए बिना ही अच्छे समय में चला जाता है । यदि वह फिसलेगा नहीं , तो अच्छे व्यक्ति का अच्छे समय में प्रवेश नहीं हो पाएगा ।

एक अच्छा समय फिसलन से भरपूर होता है । फिसलन की अच्छाई यह है कि , अच्छा व्यक्ति कुछ ही सेकंड में बुरे समय से निकल कर परिश्रम किए बिना ही अच्छे समय में चला जाता है । यदि वह फिसलेगा नहीं , तो अच्छे व्यक्ति का अच्छे समय में प्रवेश नहीं हो पाएगा ।
आज भी व्यक्ति के लिए अपने पैरों से चलकर अच्छे समय तक पहुंच पाना बहुत कठिन हो गया है। इतनी जल्दी पहियों पर बैठकर भी अच्छे समय में नहीं पहुंचा जा सकता है । और नाही पंखों पर उड़कर ही इतनी कम अवधि में अच्छे समय में प्रवेश पाया जा सकता है ।
यह फिसलन हरेक युग और हर समय में बनी रहती है। अच्छे समय में प्रवेश करने के लिए फिसलना तो पड़ेगा ही पड़ेगा । अगर आप बुरे समय से बचना चाहते हैं , तो फिसलिए जरूर । एक बार फिसल कर देख जरूर लीजिए ।
वैसे इस फिसलन के खतरे भी बहुत हैं । सोच समझ अगर नहीं फिसले , तो शर्तिया सिर फूट सकता है । टांग टूट सकती है। कमर मुड़ सकती है । मगर यह सब होने के बाद भी फिसला हुआ व्यक्ति अच्छे समय में पहुंच ही जाता है । जहां पहुंच अनजान क्षितिज को मिलता एक किनारा। और किनारे पर बैठकर वह चैन की बंसी बजा सकता है ।
जी हां , आपने अच्छे दिन देखे होंगे । अच्छी रातें देखी होगी । अच्छी भोर देखी होगी । और अच्छी शाम भी देखी होगी । लेकिन अच्छा समय नहीं देखा होगा । क्योंकि अच्छा समय हर व्यक्ति के जीवन में आता भी नहीं है । किसी किसी के जीवन को ये नसीब होता है।

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कुछ लोग बुरे समय में बने रहना चाहते हैं। वे उसी को अच्छा समय समझ लेते हैं।
यह फिसलन बुरे बुरों को अच्छा बना देती है । अच्छा समय अपने आप चलकर नहीं आता है , बल्कि उसे लाना पड़ता है । या फिसल कर उसके पास तक जाना पड़ता है ।
इस अच्छे शब्द का विश्लेषण करें तो इसमें सबसे पहले अक्षर अ, अनार का आता है। अनार ऐसा फल होता है , जिसका छिलका बुरा हुआ करता है लेकिन अंदर दाने अच्छे निकलते हैं । मगर यह दाने एक-एक करके ही खाए जा सकते हैं । आम की तरह काटो और पूरा खाओ इसमें नहीं चलता । अच्छे समय को भी अनार के दानों की तरह छीलना पड़ता है और बीनना पड़ता है । अच्छे शब्द का दूसरा अक्षर आधा , च है । मतलब बुरे समय को च्युंगम की तरह चबाओगे तो वह मिठास भरे अच्छे समय में बदल जाएगा । अच्छा शब्द का तीसरा अक्षर है, छा । छा से मतलब छाता । बुरे समय के ऊपर भ्रम का छाता तान लेने से समय अच्छा महसूस होने लगता है ।
समय का सिद्धांत कहता है कि जब अच्छा समय आता है तो बुरा समय अपने आप सामने से सरक जाता है ।
इस बार जो फिसल गए हैं , वे अच्छे समय के सुरक्षित जोन में पहुंच गए हैं । यह जरूर हुआ कि उनकी गर्दन मुड़ गई है , सिर फूट गया है और टांग टूट गई है । फिर भी वे अच्छे समय में पहुंच कर सुखी जीवन यापन कर रहे हैं । जो नहीं फिसल पाए या जो फिसले मगर वहीं लटके रह गए , उनकी गर्दन जरूर सीधी है। सिर अक्षत है और टांग सही सलामत है । किंतु वे बुरे समय में रहकर कष्टमय जीवन व्यतीत कर रहे
हैं ।
इसलिए फिसलिए । जरूर फिसलिए,और गारंटेड अच्छे समय की टिकट बुक  कीजिए।

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