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Dr.AJAY ANURAGI

मंगल सूत्र अमंगल हारी : डा अजय अनुरागी

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अगर भारतीय पतियों को अपना मंगल बचाए रखना है , तो मंगलसूत्र बनवाना ही पड़ेगा

मंगलसूत्र पहनना विवाहित महिलाओं का अधिकार है । यह हर महिला को पहनना चाहिए । अगर पति नहीं बनवा पाता है तो सरकार को मंगलसूत्र योजना लाकर हर विवाहिता को एक मंगलसूत्र दिलवा देना चाहिए । इससे सामाजिक समरसता कायम हो जाएगी और परिवार में शांति स्थापित हो जाएगी । तथा तलाक की समस्या में कमी आने लगेगी। क्योंकि हर स्त्री सरकारी मंगलसूत्र की लाज तो रखेगी ही रखेगी। भले ही वह निजी पति की लाज रख पाए या ना रख पाए।
इससे देश में विवाहिताओं की संख्या बढ़ जाएगी और विवाह करने की अनिच्छुक महिलाओं को भी मंगलसूत्र लेने के लिए जल्दी से विवाह करने का विचार करना पड़ेगा ।
कुछ लापरवाह पति तो मंगलसूत्र बनवाते ही नहीं है । इसलिए उन्हें अपने मंगल और अमंगल की चिंता नहीं रहती है। मगर जिन पतियों ने मंगलसूत्र बनवा रखे हैं , वे पत्नी के गले में मंगलसूत्र लटके होने पर चैन की सांस भरते रहते हैं । और वह देखते रहते हैं कि पत्नी ने मंगलसूत्र पहन रखा है या नहीं पहन रखा है । नहीं पहन रखा है , तो क्यों नहीं पहन रखा है । और वे प्रयास करके उसके गले में मंगलसूत्र लटकवा ही देते हैं। मंगल सूत्र नहीं पहनने वालों को पति की प्रताड़ना सहनी पड़ती है। इस मंगल सूत्र को पहनने से पति का अमंगल नहीं हो पाता है।
पतियों के लिए पत्नियों का गला मंगलसूत्र का गला मालूम पड़ता है। प्रायः समझदार पत्नियां अपने पति को अपने गले में लटकाना पसंद नहीं करती हैं । पति है , तो होता रहे। उसे गले में क्यों लटकाएं ? मंगलसूत्र गर्दन में ही क्यों पहना जाता है? कान नाक हाथ पैरों में क्यों नहीं पहना जाता? यह विचारणीय बिंदु है।
तो इसके लिए यही सूत्र समझ लीजिए कि यह मनुष्य का मंगल हमेशा गर्दन से ही शुरू होता है और हृदय स्थल पर जाकर पूर्ण हो जाता है । यह पति प्रदर्शन के लिए सर्वोत्तम स्थान है । जहां से मंगल सीधा दिखता रहता है।
बस शरीर में मंगल के लिए यही एक स्थान चिन्हित है । इसके अलावा मंगल तो हो सकता है , किन्तु मंगल की गारंटी नहीं हो सकती है । गारंटी सिर्फ गर्दन में ही मिलती है। गर्दन एक ऐसा सरल और सुविधाजनक स्थान होता है कि जहां आसानी से आप कुछ भी लटका सकते हैं । माला भी लटका सकते हैं और ताला भी लटकाया जा सकता है ।
गले में जितना आसान लटकना हुआ करता है , उतना ही आसान झटकना या हटाना भी हुआ करता है । आसानी से गले में कुछ भी डाल दो और आसानी से गले में से कुछ भी निकाल लो। गर्दन ऐसी जगह है जहां एक से ज्यादा चीज भी लटकाई जा सकती हैं। मगर चिंता का विषय यह है , कि कुछ दिनों से चोर उचक्के गर्दनों पर हाथ मारने लगे हैं। वे झपट्टा मारकर पत्नियों के गले में सुरक्षित लटके हुए पतियों को ही तोड़कर ले जाते हैं।

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ऐसे में पत्नियां अपने पतियों की सुरक्षा कैसे करें ? सड़क पर तो पत्नियों के गले में पति सुरक्षित हैं ही नहीं मगर घर के बाहर भी वे असुरक्षित हो गए हैं। पता पूछने के बहाने पत्नियों के गले से पतियों को लूट ले जाने वाले झपटटामारों से कैसे बचें ?
इन दिनों मंगल सूत्र चोरों के हौसले बुलंद हो गए हैं।
अब तो पतियों का मंगल इसी में है कि उन्हें गले से उतारकर लाकर में रख दिया जाए । यही ज्यादा उचित है।
कुछ महिला संगठन महिलाओं की मांगलिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मंगल सूत्र पहनने पर रोक लगा रहे हैं। न रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी। मगर महिलाएं मंगल सूत्र के बिना अपना सूना गला दिखाना ही नहीं चाहती हैं। क्योंकि मंगल सूत्र सौंदर्य को भी बढ़ा देता है। पति गले के अलावा और कहीं लटकना भी नहीं चाहते हैं। वे खुद गले लगें या न लगें किंतु मंगल सूत्र गले से लगा रहना चाहिए। यही समाज का नियम है।

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