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“गांधी की अहिंसा में कोई तो खास बात थी वह खास बात है सत्याग्रह प्रेम और सत्य के अनवरत प्रयोग” – प्रो. सतीश कुमार राय

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गांधी जयंती के अवसर पर जयपुर में ऑनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संयोजक डॉ डॉ राकेश कुमार ने सभी अतिथि वक्ताओं का का स्वागत करते हुए बताया कि संगोष्ठी के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत जी का शुभकामना संदेश और उनका आशीर्वाद हमें अच्छे अकादमिक कार्य करने की न केवल प्रेरणा देता है अपितु हमारे अकादमिक कार्यों को और अधिक मजबूती प्रदान करता है। हमारी पूरी टीम की तरफ माननीय मुख्यमंत्री जी का बहुत-बहुत आभार।

मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित प्रमुख गांधीवादी विचारक प्रोफेसर सतीश राय ने अपने वक्तव्य में कहा कि जिस प्रकार हिंदू की पूजा श्री गणेशाय नमः के बिना नहीं हो सकती, उसी प्रकार गांधीजी के नाम के बिना सियासत की बात नहीं की जा सकती। गांधीजी का राष्ट्रव्यापी फैलाव उनकी निस्वार्थ साझेदारी, सत्य ,अहिंसा ,सत्याग्रह , जनचेतना आदि ऐसे पक्ष हैं । जिनकी आज सबसे ज्यादा जरूरी है । गांधी सफाई के देवता नहीं गांधी राष्ट्र निर्माण के देवता हैं ।

दूसरे वक्ता के रूप में बीबीसी के वरिष्ठ पत्रकार एवं राजस्थान सूचना आयुक्त प्रो. नारायण बारेठ ने महात्मा गांधी के वैश्विक फलक पर चर्चा करते हुए कहा कि गांधीजी जिस्मा़नी तौर पर भले ही कमजोर रहे हों परंतु उनका आत्मबल बहुत सुदृढ़ था ।विशाल था। गांधी मजबूरी का नहीं मजबूती का नाम है। जिससे पूरा विश्व प्रभावित रहा ।
तीसरे वक्ता के रूप में उपस्थित वरिष्ठ कवि एवं व्यंग्य लेखक फारुख अफरीदी जी ने महात्मा गांधी की धर्मनिरपेक्षता एवं आजादी में उनके योगदान को रेखांकित करते हुए कहा की गांधीजी सही रास्ते पर चलने की सीख देते हैं । आज गांधी के विचारों की व्यापकता एवं फैलाव की और अधिक आवश्यकता है । क्योंकि गांधीजी का लोकतंत्र पर अटूट विश्वास था जिसकी आज सबसे ज्यादा जरूरत है।

एनसीसी/ एनएसएस के राज्य संपर्क अधिकारी, कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर धर्मेंद्र सिंह चाहर ने अपने वक्तव्य में गांधी की जीवन शैली एवं गहरे अनुशासन से सीख लेने की बात करते हुए गांधी के विचारों को आत्मसात करने की बात की। उनका मानना था कि सत्य अहिंसा परोपकार, सत्याग्रह, जैसे प्रतीकात्मक जीवन हथियारों की आज सबसे ज्याद जरूरत है। आज प्रत्येक युवा को उनके अनुशासन से उनके जीवन दर्शन से बहुत कुछ सीखना चाहिए।
क्रेडेंट टीवी के प्रधान संपादक सुनील नारनोलिया ने संगोष्ठी का मंच संचालन करते हुए आज के हालातों पर चिंता प्रकट की। सभी वक्ताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया।

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