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साहित्य मनुष्य की गरिमा को बचाए रखने का माध्यम है: नंद भारद्वाज
Published
2 years agoon
शालिनी अग्रवाल (Shalini Agrawal) के दो काव्य संग्रहों का लोकार्पण जयपुर 28 अप्रेल। वरिष्ठ कवि और प्रतिष्ठित साहित्यकार नंद भारद्वाज ने कहा है कि साहित्य मनुष्य की गरिमा को बचाए रखने का सशक्त माध्यम है। शालिनी अग्रवाल (Shalini Agrawal)की कविताओं में देश और दुनिया के अनुभव समेटे हुए हैं जो गहरे अहसासों का प्रतिफल है।
वे जयपुर कला साहित्य संस्थान के तत्वावधान में आज युवा कवयित्री शालिनी अग्रवाल ‘सुकून’’ के दो काव्य संग्रहों ‘’सुकून की नज्में’’ और ‘’मेरे आसपास ‘’ का चेंबर भवन में लोकार्पण करते हुए मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे । वरिष्ठ शायर डॉ. मोहम्मद हुसैन ने अध्यक्षता की। वरिष्ठ व्यंग्यकार और कवि फारूक आफरीदी, एसीपी सुनील प्रसाद, पूर्व उपमहापौर पंकज शर्मा, शालिनी शर्मा,प्रमुख शायर इरशाद अज़ीज़ लोकार्पण अवसर पर मौजूद थे। जानी मानी कवयित्री डॉ. संगीता सक्सेना और उषा दशोरा ने शालिनी के इन काव्य के रचनात्मक पक्षों की समीक्षा प्रस्तुत की।
डॉ. मोहम्मद हुसैन ने कहा कि शालिनी की शायरी एक एहसास और बाशऊर इंसान के जज़्बात और अहसासात का बेसाख्ता पुरखुलुस इजहार है। उन्होने
शालिनी अग्रवाल को बधाई देते हुए कहा कि इनकी कविताएं मानवीय मूल्यों और संवेदनाओं को जगाने में महती भूमिका निभाती हैं।
विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ कवि और व्यंग्यकार फारूक ने कहा कि शालिनी अग्रवाल की कविताएं गहरे अहसास की कविताएं हैं।आज की आधुनिक कविता तभी समृद्ध होगी जब कवि समय और समाज को ध्यान में रखकर आम आदमी के दुःख सुख, उसके समस्याओं और संत्रास को कविता में पिरोते हुए उसके साथ खड़े होंगे। आफरीदी ने नागार्जुन,नरेश सक्सेना, राजेश जोशी और विनोदकुमार शुक्ल के सार्थक कवि कर्म को रेखांकित करते हुए कहा कि वे आम आदमी के साथ खड़े दिखाई देते हैं । उनके कष्टों को वाणी देते हैं इसलिए जन जन जन में उनकी आज भी गहरी प्रतिष्ठा है।साहित्य का यह धर्म है कि वे समय की विसंगतियों के विरुद्ध दृढ़ता से आवाज उठाएं और व्यवस्था को उनके जीवन को सहज, सुखदायी, गरिमामय और सम्मान के साथ जीने लायक बनाने के लिए अपनी आवाज उठाएं।
इस मौके पर कवयित्री शालिनी अग्रवाल सुकून ने इस मौके पर चुनिंदा कविताएं और नज़्म पेश करते हुए कहा कि जब भी वे अपने परिवेश और आसपास समाज में कुछ गलत और असंगत होते देखती हैं तो कविताओं से उन्हें वाणी देने का रचनात्मक प्रयास करती हैं। कविता उनकी ही नहीं कमजोरों की शक्ति हैं । लोकप्रिय शायर इरशाद अज़ीज़ ने उनकी रचनाओं की चर्चा करते हुए कार्यक्रम का सफल संचालन किया। लोकार्पण समारोह में हिंदी और उर्दू साहित्य की अनेक नामचीन विभूतियाँ मौजूद रही।
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