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नामी कलाकार देंगे विभिन्न पारंपरिक कलाओं के गुर

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जयपुर। विभिन्न पारंपरिक कलाओं में रूचि रखने वालों को जल्दी ही देश के कई जाने-माने कलाकार इन विधाओं की बारीकियां सिखाएंगे। ये कलाकार अनेक ऐसी कई कलाएं जो समय के साथ विलुप्त होने के कगार पर हैं लोगों को उनके इतिहास और उन्हें जीवंत करने के सही तौर-तरीकों से अवगत कराएंगे। ‘मिड समर ह्यूज-2022’ नामक ये आयोजन कलानेरी आर्ट गैलरी परिसर में 14 जून से 8 जुलाई तक किया जाएगा।

इन विधाओं में दिया जाएगा प्रशिक्षण

Kalaneri Art Gallery के निदेशक सौम्या विजय शर्मा ने बताया कि इस दौरान इच्छुक लोगों को ऑन द स्पॉट नेचर लैंडस्केप, क्ले म्यूरल, राजस्थान की अनूठी परंतु लुप्त होती कला ठीकरी, गौरवशाली मिनिएचर आर्ट, फोक आर्ट फड, सांझी आर्ट, मोजाइक, लोककला पेपर मैशी का प्रशिक्षण राजस्थान के जाने माने कलाकार देंगे । फड़ आर्ट का कल्याण जोशी, सांझी आर्ट का श्रीराम सोनी, पेपर मेशी का रामदेव मीणा प्रशिक्षण देंगे। अन्य विधाओं में भी इसी तरह उस क्षेत्र मे अनुभवी लोग प्रशिक्षण देंग। इन वर्कशॉप का ड्यूरेशन 1 दिन से 3 दिन होगा जिनका रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड पर है।
इसके अलावा रेगुलर ड्रॉइंग एंड पेंटिंग, आर्ट एंड क्राफ्ट एवं साथ ही मिनिएचर पेंटिंग की रेगुलर क्लासेस भी जारी है।

PHAD painting by Sh Kalyan Joshi

ये सफल आयोजन भी हो चुके हैं

Kalaneri Art Gallery की ओर से इससे पूर्व डिजाइन एंड हेरिटेज क्राफ्ट फड, ठीकरि, क्ले म्यूरल, मिनिएचर पेंटिंग, पेंटिंग ऑन वेरियस मीडियम लाइक ऑयल नाइफ टेक्निक, एक्रलिक, वाटर, चारकोल, पेस्टल, कैलीग्राफी इत्यादि का भी नि:शुल्क सफल आयोजन किया जा चुका है। सौम्या विजय शर्मा ने बताया की इन वर्कशॉप का उद्देश्य हमारी युवा पीढ़ी को हमारे प्रदेश की गौरवशाली प्राचीन कलाएं, हेरिटेज क्राफ्ट से ना केवल परिचित कराना है बल्कि उन्हें प्रोफेशनल आर्ट्स द्वारा प्रशिक्षण देना भी है, जिससे वे उन्हें प्रोफेशनली सीखकर स्किल्ड हो सके और अवसर आने पर इसमें अपना कैरियर, अपॉर्चुनिटी तलाश कर सकें।

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Untangling Thoughts is being inaugurated on April 22

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Seher’s exhibition called Untangling Thoughts will inaugurate on April 22 atv 4 pm at the
Sukriti Art Gallery , at Jawahar kala Kendra, Jaipur by Dr Sudhir Bhandari, Principal, SMS Medical College & Hospital.

About Untangling Thoughts

The exhibition will express individuals dealing with mental health issues often express themselves in drawings and paintings. The creation of art helps in exploring emotions and coping with stress. It helps in finding new ways to gain personal insight and develop skills to overcome anxieties. A traditional art class is normally focused on teaching technique or creating a specific finished product, but art therapy is more about letting an individual focus on their inner experience. Individuals facing mental illness create art that expresses their inner world more than making something that is an expression of the outer world. People who have experienced emotional trauma, anxiety, depression, and other psychological issues can benefit from expressing themselves creatively.

Seher’s paintings express their feelings

Seher’s paintings are her only companions in low moods. On certain occasions when her irritability and restlessness grew. She experienced feeling of hopelessness and felt worthless. She thought of death and suicide, many a times she tried to harm herself and became violent. Invariably, after every violent episode, she blocked herself off from everyone and sat and painted for hours. Her paintings reflected her moods and had a soothing effect on her nerves. These were never planned and premeditated paintings.
They represent her relationship with the outside world, inner-self, anger and joy, friendships and breakups, conflicts and resolutions, her paintings are ‘Seher’ with all her complexities. When she paints, the hazy thoughts start calming down and she is able to focus again. The hours of hard work would create all kinds of abstracts. She never uses regular paints; she likes and continues to paint with ink. Seher draws a lot of trees. They were all dry trees initially but over a period of time she started painting colorful leaves. Colors which do not exist in nature, perhaps, but colors that reflect her moods.
Sometimes she portrays herself as a lonely bird, while everything around her is vibrant and
colorful, the yearning to be rooted, to be happy is portrayed through many trees, which are colorful and firmly standing, yet in one painting one can see the sun pushing down the beautiful tree reflecting the weight of her complex thoughts and feelings, which does not allow her to bloom.
There are many paintings using mandala art designs interwoven with multiple lines criss-crossing each other, perhaps representing a state of her mind in constant confusion that does not allow her to enjoy the bright world around her.
Healing is a slow process; Seher is not only fighting herself but helping a lot of others by fighting the taboo attached to mental illness.

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फारूक आफरीदी को साहित्य सेवा के लिए मिला सुदर्श अवार्ड-2022

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Credent TV। हजरत ख्वाजा सूफी अब्दुल रज्जाक शाह (र.अ.) के 10वें उर्स के अवसर पर वरिष्ठ कवि-व्यंग्यकार और मुख्यमंत्री के ओएसडी फारूक आफरीदी (Farooq Afridy) को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए रज्जाक पब्लिक चेरीटेबल ट्रस्ट, जूनिया शरीफ, तहसील केकड़ी (अजमेर) की ओर से एक भव्य समारोह में सुदर्श साहित्य अवार्ड-2022 से सम्मानित किया गया।
ख्वाजा गरीब नवाज अजमेर के नायब गद्दीनशीन सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती और दौसा की सांसद जसकौर मीना के सान्निध्य में खानकाह शाहे रज्जाक जूनिया शरीफ के सज्जादा नशीन हजरत सूफी डाॅ. अब्दुल लतीफ शाह ने अवार्ड प्रदान किया।

इस अवसर पर प्रतिष्ठित समाजसेवी राव आनंदसिंह और सूफी डाॅ. अब्दुल हमीद ने आफरीदी को शाॅल ओढ़ाकर एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। उल्लेखनीय है कि आफरीदी (Farooq Afridy) का कविता संग्रह ‘शब्द कभी बांझ नहीं होते‘, दो व्यंग्य संग्रह ‘मीनमेख‘ और ‘धन्य है आम आदमी‘ तथा ‘सूचना का अधिकार‘ आदि पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। देश-विदेश की पत्र-पत्रिकाओं में इनकी रचनाएं अनवरत प्रकाशित होती रही हैं।
इस अवसर पर ख्वाजा गरीब नवाज के नायब गद्दीनशीन सैयद नसीरूद्दीन, दौसा की सांसद जसकौर मीना और फारूक आफरीदी (Farooq Afridy) ने जायरीन को सम्बोधित करते हुए कहाकि देश में अमन और शांति के लिए सूफीवाद ही एक मात्र माध्यम है जो हमें जाति, धर्म, समाज, वर्ग से ऊपर उठकर सामाजिक सद्भाव की महान परम्परा को अक्षुण्ण बनाए रखने की प्रेरणा देता है। उर्स में देश के कोने-कोने से आए 10 हजार से अधिक जायरीन सम्मिलित हुए।
इस मौके पर शांति एवं सद्भाव, शिक्षा, समाज सेवा एवं पर्यावरण संरक्षण, खेल, विज्ञान, चिकित्सा एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में योगदान करने वाले दस महानुभावों को सम्मानित किया गया।

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क्ले म्यूरल में सीमेन्ट और पीओपी का प्रचलन आज के युग की देन-उमा कांत मीणा

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क्ले म्यूरल

  • कलानेरी आर्ट गैलरी में चल रहे समर कैंप के दौरान हुआ लाइव डेमोस्ट्रेशन
  • म्यूरल कला के जाने-माने कलाकार उमा कान्त मीणा हुए रूबरू

म्यूरल विधा के जाने-माने कलाकार उमा कान्त मीणा बुधवार को Kalaneri Art Gallery में चल रहे समर कैंप के प्रशिक्षणार्थियों से रूबरू हुए। उन्होंने इस मौके पर थ्री डी तकनीकी से क्ले मॉडल बनाने की विधि समझाई और नमूने के तौर पर डेढ़ फुट गुणा दो फुट का म्यूरल तैयार करके दिखाया। इस म्यूरल में उन्होंने आसमान में चमकते सूरज और धरती पर लहलाते फूल तथा पेड़ पौधे दिखाए हैं। कलाकार ने इन आकृतियों को थ्री डी तकनीकी से उभार देकर और भी खूबसूरत बना दिया। उमा कान्त आने वाले दिनांे में इस म्यूरल की कास्टिंग करके इसको स्थाई रूप भी देंगे।

क्ले म्यूरल में सीमेन्ट और पीओपी का प्रचलन आज के युग की देन

Kalaneri Art Gallery के निदेशक सौम्या विजय शर्मा ने बताया कि इस मौके पर उमा कान्त ने अपने उद्बोधन में कहा कि क्ले म्यूरल में सीमेन्ट और पीओपी का प्रचार आज के युग की देन है। सैकड़ों साल पुरानी इस विधा में कलाकार पत्थर और क्ले के माध्यम से ही कलाकृतियां उकेरा करते थे। देश के प्राचीन मन्दिरों, किलों और महलों में इसी रीति से म्यूरल बनाए गए थे जिन्हें आज भी देखा जा सकता है। उन्होंने इस मौके पर प्रशिक्षणार्थियों को वुड के सरफेस पर गीली मिट्टी से कार्विंग करने और कलाकृतियों के लिए टैक्सचर तैयार करने की रीति भी समझाई।

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