डॉ. अजय अनुरागी
दुल्हन की बारूदी एंट्री – डॉ. अजय अनुरागी
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2 months agoon
दुनिया बारूद के ढेर पर बैठी हुई है।
कहते हैं दुनिया बारूद के ढेर पर बैठी हुई है। लेकिन आज देश की प्यारी दुल्हनें बारूद के मेरिज मंच पर तनकर खड़ी हुई हैं।
उनकी सारी आशिकी , विवाह समारोह के आतिशी इवेंट के समक्ष धरी रह जाती है ।
आज दुल्हन की एंट्री इतनी धांसू तरीके से होने लगी है , कि देखने वालों की आंखों में आंसू आ जाते हैं । मगर दुल्हन की आंखें रेगिस्तान की तरह सूखी हुई रहती हैं , जहां नमी की बहुत भारी कमी पाई जाती है ।
हम शिक्षा देते थे कि वैवाहिक जीवन में गोला बारूद का प्रवेश नहीं होना चाहिए । लेकिन जिस वैवाहिक जीवन का प्रारंभ ही गोला बारूद से हो रहा हो , वहां शिक्षा क्या करेगी ?
अब दुल्हन की एंट्री , बारूदी एंट्री हुआ करती है । अर्थात आतिशी धमाकों वाली एंट्री होती है। दुल्हन को देखने वालों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं । वे दुल्हन को देखें कि धमाकों को देखे। जैसे ही दुल्हन विवाह पंडाल में प्रवेश करती है , उसके चारों ओर बारूद की फुलझड़ियां छूटने लगती हैं। बारूदी अनारों की रोशनी का दरिया बहकर बिखरने लगता है । धरती और आकाश में बारूदी धमाकों का घमासान मच जाता है । इधर दुल्हन के सौंदर्य का धुंआ धुंध में बदले , उससे पहले धुएं के बादलों के बीच दुल्हन धुंध सुंदरी बनकर आसमान में उड़ने लगती है।
ऊपर से पेटपीटा ढोल नगाड़े कर्कस त्वरा दिखाना शुरू कर देते हैं । पूरा का पूरा पांडाल कान फोडू , आंख फोडू , नाक फोडू और सांस घोंटू होने लगता है ।
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दुल्हन की इतनी भयानक एंट्री पहले कभी नहीं देखी थी। इवेंट वाले बारूदी रोशनी और जगमगाहट से धरती को आसमान बना डालने का भ्रम पैदा कर देते हैं । मेरिज गार्डन में घास की धरती धुआं उगलने लगती है। उन्ही बादलों पर कदम बढ़ाते हुए दुल्हन अपने दूल्हे से मिलने चलती चली जाती है ।
दुल्हन को इतना भारी बना दिया गया है कि वह अपना बोझ खुद उठाने के काबिल नहीं रहती । दुल्हन की इतनी हवा हवाई कल्पना पहले कभी नहीं की गई थी । सब हाई फाई वाया वाई फाई हो गया है।
दोस्तों , ब्यूटी पार्लर में दुल्हन को इतना नकली और बनावटी बना दिया जाता है , कि उसमें से असली दुल्हन को खोज पाना मुश्किल हो जाता है ।
वैवाहिक जीवन की शुरुआत धमाकेदार होती जा रही है , किंतु सामान्य जीवन की शुरुआत मसालेदार होती जा रही है ।
ससुराल में पहुंचते ही दुल्हन धमाके करना शुरू कर देती है । उसकी बातों में रोज-रोज फुलझडियां छूटने लगती हैं।और घर में आतिशी अनार बिखरने लगते हैं ।
वही बारुद , वही धुंआ, वही नगाड़ों का कान फोड़ू शोर दुल्हन के व्यवहार में ऐसा
ऐंटर हो जाता है कि वह वास्तविक जीवन में एग्जिट हो ही नहीं पाता । जिसकी एंट्री ही बारूदी हो , उसकी जीवनचर्या में बारूद की एक आध चिंगारी तो आएगी आएगी।
अब दुल्हन से फूलों की महक वाली उम्मीद नहीं करनी चाहिए । वैसे उम्मीद तो यही रहती है कि दुल्हन को देखते ही दिल में ठंडक का एहसास हो जाए। आंखों में स्वाभाविक चमक फैल जाए । कानों में पायल सी हंसी खनक खनक जाए । शांत वातावरण में विवाह के मंगलाचरण सुनाई पड़ जाएं। लेकिन इवेंट को कुछ और ही मंजूर होता है।
वह जो फूल सी सुकोमल दुल्हन हाथ में वरमाला लिए सिमटती , सकुचाती, विनम्रता से झुकी हुई , मंद मंद वासंती झोंके की तरह धरती पर कदम रखती हुई आगे बढ़ती थी , तो उसे देखते ही दूल्हे के मन में फुलझड़ियां छूटने लगती थीं। उसकी आंखों में अनार से बिखरने लगते थे , और दिल में धांसू धांसू से धमाके होने लगते थे । जिन्हें न कोई सुन पाता था , ना कोई देख पाता था , और ना उनसे कोई परेशान ही होता था। लचकती मचकती दुल्हन को देखकर लगता था , जैसे नदी समुद्र से मिलने के लिए मंच की ओर मंद मंद प्रवाह से बही जा रही हो ।
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लेकिन अब बदलते भारत में दुल्हन का मंच की ओर प्रस्थान ऐसे लगता है ,जैसे अग्नि मिसाइल अपने साथ हथगोले , पिस्तौलें और बंदूकें लेकर आयुध भंडार के मंडप में रखी तोप से मुठभेड़ करने को चली जा रही हो । लगता ही नहीं है कि यह कोमल दुल्हन है । उसे देखकर यह भ्रम होता है कि सीमा पर तैनात सिपाही ठसके से गश्त करता हुआ मार काट को तैयार होकर आगे बढ़ रहा हो ।
कायदे से अडियल से अड़ियल लड़की भी दुल्हन के रूप में संकोच के भार से झुक जाया करती थी । अब तो बेकायदा ऐसा कि विनम्र से विनम्र लड़की भी दुल्हन के रूप में बेस के भार से अडियल हो जाया करती है ।
इवेंट वाले दुल्हन को अपनों के बीच में सामान्य रहने ही नहीं देते हैं। उनका सारा जोर एंट्री पर है । एंट्री शानदार हो , भले ही दुल्हन जानदार न हो । रात में उसकी जितनी जोरदार एंट्री होती है , सुबह निकासी उतनी ही बोरदार हुआ करती है ।
दोस्तों ,दैनिक जीवन में इवेंट नहीं होता है। तो दैनिक जीवन में एंट्री के लिए इवेंट की क्या जरूरत है?
दुल्हन की एंट्री को इतनी भयानक मत बनाइए कि वह विस्फोटक सामग्री में बदल जाए। और दो चार को गिरा कर धराशाही कर डाले।
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