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डा अजय अनुरागी

खाने की गारंटी -डा अजय अनुरागी

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भाइयों और बहनों !


भाइयों और बहनों ! क्या आप खाना चाहते हैं ? अगर आप वास्तव में खाने के इच्छुक हैं तो हम देते हैं आपको खाने की गारंटी। इस गारंटी के बाद आप खा सकते हैं और खूब खा सकते हैं।
लेकिन तय आपको करना है कि आप खाना क्या चाहते हैं ?
आम तौर पर आपको पता ही नहीं होता कि आपको खाना क्या है ? आपका पेट कुछ मांगता है और आपकी जीभ कुछ और चाहती है । आपके दांत जिन चीजों को खाने के लिए सिलेक्ट कर लेते हैं , आंतें उसे रिजेक्ट करके ठंडे बस्ते की तरह आमाशय में डाल देती हैं । यह कोई खाने का मैनेजमेंट है भला?
प्रीति भोजों में आप प्लेट की प्लेट बिगाड़ कर पटक जाते हो। प्लेट पटक कर डकार जाओ यह तो चलेगा , मगर प्लेट बिगाड़ कर पटक जाओ यह नहीं चलेगा। आप पूरी प्लेट को बर्फी , हलवा और गुलाब जामुनों से भर कर चबूतरा बना लेते हो ।उसके ऊपर खाद्य सामग्री का ढेर इतना ऊंचा हो जाता है कि दो एक रसगुल्ले तो पकौड़ों के नीचे दबे दबे निचुड जाते हैं।और एक दो गुलाब जामुन बर्फी के ऊपर रखे रखे बेलेंस बिगड़ने से लुढ़क कर जमीन पर गिर पड़ते हैं। प्लेट में दही बड़े की कटोरी और रसमलाई की प्याली के बीच में बिखरा हुआ पुलाव पुल का गेटअप देता रहता है ।इस ढेर में जरूरत पड़ने पर दबी छिपी चम्मच ढूंढने से भी नहीं मिलती है । वह दाल ,सब्जी ,रोटी , पूड़ी , सलाद और पुलाव के भीतर न जाने कहां समा जाती है ? मैं देख रहा हूं भैया जी , आप दो गुलाब जामुन पेट में सटकाते हो और बाकी के डस्टबिन में सरका देते हो। यह अच्छा नहीं है। मगर आप मस्त रहें । हम देते हैं आपको खाने के साथ साथ बिगाड़ने की भी पूरी गारंटी।

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गारंटी के दौर में जरा संयम से काम लीजिए भाईसाहब । यह पूरी दावत आपको नहीं खानी है। ध्यान रहे कि आपको सिर्फ पेट भर खाना है , पांडाल भर नहीं खाना है। आप समस्त स्टालों पर कूद कूद कर टूट पड़ते हो। हर स्टॉल पर उछल उछल कर पड़ रहे हो। भीड़ में घुस घुस कर चमचा अपनी कटोरी में सरका रहे हो। यह क्या है ? पिज्जा के साथ पापड़ भी खींचे जा रहे हो। कलाकंद के साथ केक भी काटे जा रहे हो। हमने खाने की गारंटी दी है भैया जी। बोरा भरने की गारंटी नहीं दी है।
मैं कहता हूं आप खाइए , खूब खाइए , दूसरों के हिस्से का भी खा जाइए । कोई चिंता मत करिए। क्योंकि आप गारंटी के घेरे में हैं । पर यह भी ध्यान रहे की गारंटी का दुरुपयोग न होने पाए। आप अनुशासन में रहकर खाएं । शालीनता से खाएं , और दूसरों को चिढ़ाकर न खाएं । हां, दूसरों को दिखा दिखाकर खा सकते हैं ।
असल में यह खाने की गारंटी उन्हीं के लिए है ,जो खाना जानते हैं । वैसे आप जानते ही हैं कि फैशन के दौर में गारंटी की भी कोई गारंटी नहीं होती है। खाना तो सब चाहते हैं, लेकिन सब खाना नहीं जानते हैं। कुछ ही खाना जानते हैं । जो कुछ खाना जानते हैं ,उनमें से भी कुछ ही खा पाते हैं । और कुछ ही खा पाने वालों में से कुछ ही पचा पाते हैं । आप खाने के इच्छुक हैं। अच्छी बात है । मगर यह बताएं , कि कब खाना चाहते हैं ? और कहां खाना चाहते हैं ? क्योंकि खाने के लिए कोई भी जगह अब सुरक्षित नहीं रह गई है । इसलिए गारंटी भी असुरक्षित ही समझो।
मैं जानता हूं कि आप खाने के बेहद शौकीन हैं , और खाने की चीज देखकर आपकी लार टपकने लगती है। खाने की चीज न भी हो तो भी आपकी जीभ लपलपाती रहती है ।


भाईयो और बहनों , इसीलिए हम लाए हैं खास आपके लिए , खाने की गारंटी। हमें पता है कि आपका हाथ चलताऊ है। चलता हुआ हाथ मुंह को चलायमान रखता है । आपको खाने की आदत जो है । मिठाई की दुकान पर खरीद के समय बर्फी और लड्डू का टुकड़ा स्वाद के बहाने आप जरुर चाख लेते हैं । परचून की दुकान पर गुड, चीनी, सौंफ जो हाथ पड़ जाए उसे मुंह में डाल लेते हैं। सब्जी वालों के यहां टमाटर , मटर नहीं छोड़ते। कद्दू जरा मोटा होता है इसलिए बच जाता है , वरना उसे भी काट कर खा जाते । ठेले से उठाकर मूंगफली और चने चबाते ही रहते हैं । यह आपका मुफ्त खाने का अधिकार है। जी हां , आप खाने के बेहद शौकीन हैं। बिना चखे आप खाते ही नहीं हैं । आप खाइए। जरूर खाइए। यही गारंटी हम आपको दे रहे हैं।
अब देखिए हमारे लोग भी बड़े अजीब हैं। हम खाने के गारंटी दे रहे हैं , तो पूछ रहे हैं भैया पीने की गारंटी कब दोगे ?
भाईयो और बहनों , पीने की गारंटी भी हम आपको देंगे ,पर बाद में देंगे । पहले खाने की गारंटी तो ले लो । जो मिल रहा है उसको चुपचाप ले लो। जब खाने की गारंटी खत्म हो जाएगी, तब पीने की गारंटी मांग लेना।
धत तेरे की , इनका क्या करें , जिनकी डिमांड है कि पहले पीने की गारंटी दो , फिर खाने की गारंटी ग्रहण करेंगे ।
अरे भैया , हमारा कहना मानो। पहले एक गारंटी को ग्रहण कर लो। इसके बाद हम गारंटी पर गारंटी देकर आपको लाद देंगे । आपके ऊपर एक के बाद एक इतनी गारंटियां हो जाएंगी कि आप अपनी मन वांछित गारंटी छांट भी नहीं पाओगे। आपके पेट , पीठ , कंधों पर गारंटी ही गारंटी के पहाड़ उतार देंगे। पर पहले खाने की गारंटी तो ले लो ।
मगर नहीं छैल छबीलो ने तर्क दिया कि आपकी गारंटीयों का तरीका ही गलत है । इस क्रम में सुधार करो । पहले पीने की गारंटी दो , फिर खाने की गारंटी देना ।
खाने के बाद ,पीने की गारंटी आपसे कोई नहीं लेगा। आपकी गारंटी बेकार में धरी की धरी रह जाएगी । अगर आप अपनी दी हुई गारंटी को सफल होते देखना चाहते हैं तो जनहित में पीने की गारंटी शीघ्र जारी करें ।

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दोस्तों इस परहित के समक्ष मेरी स्वहित की गारंटी भी खटाई में पड़ती दिखाई दे रही है।
अंत में एक विशेष सूचना सुनिए। जो आज जानबूझकर खाने की गारंटी नहीं ले पा रहे हैं , भविष्य में उन्हें जानबूझकर पीने की गारंटी भी नहीं मिलेगी। हो सकता है उनसे जीने की गारंटी भी छीन ली जाए। इसलिए खाने की गारंटी को ग्रहण करने में ही भलाई है। खाओ और चुपचाप बैठ जाओ।