Connect with us

BHAWAR MEGHWANSHI

संवैधानिक शादी देखने हज़ारों लोग पहुँचे सिडियास

Avatar photo

Published

on

भीलवाड़ा- 20 मार्च ,राजस्थान के भीलवाड़ा जिले की माण्डल तहसील के सिड़ियास गाँव में आयोजित हुई एक अनोखी शादी में शामिल होने के लिए आसपास के गाँवो तथा प्रदेश, देश और विदेश तक से लोग आए, इनमें राष्ट्रीय स्तर के राजनीतिक,सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक, पत्रकार व बुद्धिजीवी लोग भी पहुँचे

उल्लेखनीय है कि 18 मार्च को सिडीयास में सामाजिक कार्यकर्ता,पत्रकार एवं लेखक भंवर मेघवंशी की बेटी एडवोकेट ममता की शादी एडवोकेट कृष्ण कुमार के साथ संपन्न हुई,लेकिन यह शादी परंपरागत तरीक़ों से हट कर थी,इसे लेकर लोगों में बहुत कौतुहल था.होता भी क्यों नहीं, इस शादी में न पहले सगाई हुई,न महुर्त निकाला गया,न कुंडली मिलाई गई,न लग्न लिखे गए,न विनायक स्थापित हुए,न दूल्हा शेरवानी पहन कर आया,न दूल्हे के सिर पर साफ़ा,न दुल्हन घूँघट में, न तलवार और न ही तोरण,न ही फेरे हुए,बारात आई,गुलाब के फूलों की वर्षा करके स्वागत कर दिया गया,न बैंड बाजा और न ही डीजे का कानफोड़ूँ संगीत.यहाँ तक कि शादी को सहजीवन कहा गया.यहाँ तक कि शादी का लाल जोड़ा की जगह सफ़ेद कपड़ों में दूल्हा दुल्हन पहुँचे.न मंगल सूत्र पहनाया गया और न ही माँग में सिंदूर भरने की रस्म हुई.

गौरतलब है कि आधुनिकता के नाम पर आजकल हो रही शादियों की तरह न प्रीवेडिंग फ़ोटो शूट हुआ और न ही हल्दी की रस्म,यहाँ तक कि न बिंदौली निकाली गई,न बिंदौले खाये गए.देशी ढोल पर कुछ नाच गाना ज़रूर हुआ, शादी में सबके लिए खाने का इंतज़ाम हुआ, जिसमें तरह तरह के व्यंजन नहीं थे,एकदम सादा सुरुचिपूर्ण भोज नीचे बैठकर मीठी मनुहार से परोस कर खिलाया गया. न वरपक्ष से दुल्हन के लिए कोई आभूषण लाए गए और न ही वधू पक्ष से किसी प्रकार के दहेज का लेन देन हुआ.

कार्यक्रम की शुरुआत दूल्हा दुल्हन के पांडाल के प्रवेश पर जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता पारस बंजारा के गीत “ आगे आगे कोतल घुड़लो, लारे बनीसा रो रथड़ो राज, म्हारोड़े आँगनिये आज पधारो बींद राजा..” से हुई, उन्होंने इस मौके पर संत कबीर का एक भजन “ जनम जनम री कुवाँरी म्हारी सुरता आज ब्याव रचायो है..” भी गाया.

सबसे पहले दुल्हन के बड़े भाई अशोक मेघवंशी और उनकी पत्नी एडवोकेट ललिता मेघवंशी ने उपस्थित जन समुदाय से यह निवेदन किया-“ आज यह दिन हम सब के लिए बहुत विशेष है.हमारी बहन ममता ने अपनी इच्छा से और परिवार की सहमति से कृष्ण कुमार के साथ जीवन बिताने का निर्णय लिया है.यहां कोई दहेज का लेन देन नहीं हुआ है और ममता और कृष्ण कुमार ने यह निर्णय लिया हैं कि वह ऐसे कोई रीति रिवाज नहीं करेंगे जिनमें किसी प्रकार का भेदभाव हो । आज के इस जश्न के लिए हम अपने पूरे परिवार की ओर से इन दोनों के लिए आप सब का आशीर्वाद मांगना चाहते है .”

Read also:-YouTube Requests Creators to Disclose Modified Videos and Announces Labels to Highlight AI-Generated Content

Advertisement

पांडाल में मौजूद हज़ारों हाथ आशीर्वाद में एक साथ ऊपर उठे और पुष्प वर्षा करके आशीष दी गई. दूल्हा दुल्हन सफ़ेद कपड़ों में मंच पर थे, शादी के लाल जोड़े में नहीं देखकर लोग आश्चर्यचकित थे.बौद्ध भिक्षु भंते डॉ. सिद्धार्थ वर्धन ने मिट्टी का कलश जल से भर कर स्थापित किया और इसके बाद वर वधू से एक दूसरे के उपस्थित समाज के समक्ष सार्वजनिक रूप से स्वीकार भाव पूछा गया, दोनों की स्वीकृति मिलने पर भंते सिद्धार्थ वर्धन ने महामंगल सूत्त का पाठ किया और बाबा साहब अम्बेडकर द्वारा प्रतिपादित पद्धति से शादी संपन्न करवाई. इसके पश्चात दूल्हा और दुल्हन सात कदम साथ साथ चले और हर कदम पर संविधान को साक्षी मानकर एक एक संकल्प लिया.

(क्या थे सहजीवन के सात संकल्प ?)

“ सहजीवन के संकल्प “
हम आज अपने परिजनों व प्रियजनों के समक्ष भारतीय संविधान को साक्षी मानकर यह संकल्प लेते हैं जी आज से हम परस्पर एक दूसरे के जीवन के पूरक के रूप में सहभागी होंगे

  • हम संकल्प लेते हैं कि हमारी यह सहभागिता आपसी विश्वास और बराबरी पर आधारित होगी और हम एक दूसरे के व्यक्तित्व का मैत्री भाव से सम्मान करते हुए जीवन विकास जी दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास करेंगे
  • हम संकल्प लेते हैं जी हम सहजीवन के समस्त दायित्वों का निर्वाह पूर्ण निष्ठा से करेंगे और हमारा सहभाग देश दुनियाँ और समाज की बेहतरी के लिए समर्पित रहेगा.
  • हम संकल्प लेते हैं कि हमारा आचरण भारत के संविधान के सर्वभौमिक मूल्यों- न्याय, समानता, स्वतंत्रता व बंधुत्व के अनुरूप होगा, हम एक दूसरे को पूरा मान सम्मान,प्रतिष्ठा व गरिमा देंगे.
  • हम संकल्प लेते हैं कि हम स्नेह , सद्भाव , मैत्री व सहयोग के भाव से धरती के सभी प्राणियों, प्रकृति, पर्यावरण व पारिस्थितिकी का संरक्षण व संवर्धन व सम्मान करेंगे तथा समस्त जीव जंतुओं, पशु पक्षियों, नदी, नालों, पर्वत समुन्दर के प्रति मैत्री भाव रखेंगे
  • हम संकल्प लेते हैं कि जीवन में कठिन परिस्थितियों, नकारात्मकता, निराशा व संघर्ष क्षणों का पूर्ण धैर्य, करुणा, उदारता व समझदारी से सामना करेंगे और एक दूसरे के संबल बनेंगे.
  • हम संकल्प लेते हैं कि समय के साथ अगर हमारे रिश्तों में कोई बदलाव आया तो भी हम एक दूसरे का सम्मान करेंगे और मंगल मैत्री भाव से एक साथ बिताये समय को सद्भाव व संतुष्टि से देखेंगे. किसी भी परिस्थिति से निकलने में एक दूसरे की मदद करेंगे.
    हम तथागत गौतम बुद्ध, संत कबीर, रामसा पीर, ज्योतिबा फुले, सावित्री बाई, फ़ातिमा शेख़, डॉक्टर बाबा साहेब अम्बेडकर-रमा बाई , महात्मा गांधी और भगत सिंह जैसे पुरखों व पुरखिनों की प्रेरणा से अपने पूर्वजों व प्रकृति संबल से आप सबकी उपस्थिति में यह संकल्प लेते हैं.
    शपथकर्ता
    ममता मेघवंशी ( एडवोकेट ) कृष्ण कुमार वर्मा ( एडवोकेट )

( वृक्षारोपण भी किया गया )
शादी की प्रक्रिया का समापन दूल्हा और दुल्हन के हाथों एक बोधि वृक्ष लगाने से हुई, जिसे नवग्रह आश्रम के वैध हंसराज चौधरी व फ़ाउंडेशन फ़ॉर इकोलिजिकल सिक्योरिटी के शान्तनु सिन्हा रॉय, वंदना और हरनाथ सिंह ने सम्पादित करवाया.उपहार में कवयित्री व ट्री वीमेन अनुपमा तिवारी की ओर से एक गुलाब का पौधा दिया गया.

( प्रमुख मेहमान जो पहुँचे )
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की कार्यसमिति सदस्य मीनाक्षी नटराजन ,पूर्व राजस्व मंत्री राम लाल जाट, पूर्व आयुर्वेद राज्य मंत्री अचला राम मेघवाल, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक सत्यवीर सिंह, पीपुल्स यूनियन फ़ॉर सिविल लिबर्टीज की राष्ट्रीय अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव, मज़दूर किसान शक्ति संगठन के निखिल डे, संघर्षशील महिला कार्यकर्ता भंवरी देवी, सास्वीका संगठन की सिस्टर गीता केरोल, सैलानी सरकार आश्रम के सलीम बाबा,माल जी का खेड़ा धूणी के लच्छी राम जी महाराज, फ़ॉर्वर्ड प्रेस हिंदी के संपादक नवल किशोर कुमार, साहित्यकार अनंत भटनागर,सामाजिक कार्यकर्ता प्रज्ञा जोशी, भीम प्रज्ञा के संपादक हरीश भाई डासु, नवारूण प्रकाशन के संजय जोशी, श्रमजीवी कालेज के प्राचार्य डॉक्टर अनंत भटनागर, रानीवाड़ा महाविद्यालय के प्रिंसिपल हिमांशु पण्ड्या,समग्र सेवा संघ राजस्थान के अध्यक्ष सवाई सिंह,जन चेतना संस्थान की ऋचा,सुप्रसिद्ध समाजवादी विजय प्रताप,एनडीटीवी के पत्रकार सोमू आनंद, क्रेडेंट टीवी के संपादक सुनील नारनौलिया, दैनिक भास्कर शाहपुरा के मूलचंद पेशवानी, लेखक विध्याभूषण रावत, कवि राजकुमार बादल, विनोद वर्मा, मोहन लाल सोनल मनहंस, देसूरी प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रमोद पाल सिंह, लखन सालवी, सुरेश मेघवंशी,हलचल संवाददाता कैलाश शर्मा, दैनिक भास्कर करेड़ा से सुरेश श्रोत्रिय, अशोक जोशी,करेड़ा के पूर्व सरपंच इंद्रपाल सिंह, रोशन मेघवंशी, मातृकुंडिया बलाई सालवी समाज के अध्यक्ष लीलाधर बलाई, लेखिका ममता जैतली ,पूर्ण मल बेरी,बाबू लाल नागा,कमल टाक, नरेश गुर्जर, राकेश शर्मा, मुकेश निर्वासित, डॉक्टर नवीन नारायण सहित बड़ी संख्या में देश के विभिन्न हिस्सों से लोग पहुँचे.

सहजीवन के इस अनोखे जश्न का कार्ड सियाही स्टूडियो मुंबई की विनीता वर्मा और उनके साथियों ने डिज़ायन किया.शादी दिन के उजाले में हुई,भारत के संविधान को साक्षी रखा गया,इसके लिए संविधान की मूल प्रति की एक अनुकृति दिल्ली से विशेष रूप से मँगवाई गई.पूरी प्रक्रिया को संपादित करवाने के लिए जन जागरण शक्ति संगठन अररिया बिहार से कामायनी स्वामी और पीयूसील की अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव आई.सहजीवन के इस जश्न के पहले विशेष विवाह अधिनियम के तहत इस शादी को पंजीकृत करने के लिए ज़िला कलेक्टर के समक्ष आवेदन भी दिया गया.कुलमिलाकर दहेज रहित, दिखावा रहित, परंपरा रहित व प्रदूषण रहित एक अनूठा सहजीवन का उत्सव कुशलता पूर्वक निर्विघ्न संपन्न होनें के बाद देश विदेश से आए मेहमानों ने विदाई ली.

Advertisement