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साहित्य का पुनर्जागरण बहुत जरूरी है : डॉ परीक्षित सिंह

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डियर साहित्यकार डॉ परीक्षित सिंह

Credent TV | ‘डियर साहित्यकार/Dear Sahityakar’ संवाद श्रंखला में यूएसए के जाने-माने चिकित्सक एवं कवि लेखक डॉ परीक्षित सिंह ने कहा – साहित्य का पुनर्जागरण बहुत जरूरी है। भाषा की समृद्धि के लिए साहित्य सबसे बड़ा माध्यम है साहित्यकार या कवि को चाहिए कि भाषा का विस्तार करते रहना चाहिए । भाषा में नए विचार, नए बिंब , नए प्रतीक आते हैं, इससे भाषा जीवंत होती है । अनुवाद से भाषा का परस्पर मंथन होता है इससे भाषा को नई ऊर्जा मिलती है।”

कार्यक्रम संयोजक डॉ राकेश कुमार ने बताया कि परीक्षित सिंह जी एक अच्छे कवि लेखक और समाज सेवक हैं साहित्य को समर्पित अंतर्राष्ट्रीय संस्थान ” काव्या ” के माध्यम वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजस्थानी व हिंदी के संवर्धन के लिए सराहनीय कार्य कर रहे हैं।
जीवन के मनोविज्ञान और आध्यात्मिक दर्शन को रेखांकित करती उनकी कविताएंँ पुनर्जागरण का संधान करती हैं । ‘स्वयं का घुसपैठिया’, ‘क्षितिजों के पार’, ‘छुट्टी के दिन’ ,राधा के गीत , उनके प्रमुख कविता संग्रह हैं । हाल ही में उनका ‘छुट्टी के दिन’ का राजस्थानी में अनुवाद आया है जिसे काफी सराहा गया। ‘द शोरलेस रिवर’ , श्री औरोबिंदो एंड द लिटरेरी रेनसान्स ऑफ इंडिया’ इनकी चर्चित कृतियां हैं।